लघुकथा-लॉलीपॉप
निर्भया की घटना के बाद से राजा ज्यादा चौकन्ने हो गए। उनका चौकन्नापन बलात्कार रोकने के लिए नहीं था। अपनी कुर्सी बचाने के लिए था।
निर्भया की घटना के बाद से राजा ज्यादा चौकन्ने हो गए। उनका चौकन्नापन बलात्कार रोकने के लिए नहीं था। अपनी कुर्सी बचाने के लिए था।
मोहल्ले में समस्या खड़ी हो गई थी। किसी ख़ाली प्लाट की सफाई हुई , इस कारण उसका आशियाना छिन गया। सांप मोहल्ले कि ओर निकल आया।
बात स्वतंत्रता के पहले के उन दिनों की है, जब हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ा था। बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' उन दिनों 'प्रताप' के संपादक थे। एक दिन प्रेमचंद जी 'प्रताप' के आफिस गये। 'प्रताप' में एक उप-संपादक विवादी मनोवृत्ति के थे।
जुम्मन शेख, खाला, अलगू चौधरी, समझू साहू, रामधन कब के मर खप गए थे।
अक्खड़, मुंहफट, बेलाग, विपन्न, अकेला, संवेदनशील जितेंद्र चौहान नहीं रहा। यह उसकी एक पहचान हो सकती है। दूसरी पहचान साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य-गुंजन', 'गुंजन-सप्तक' के संपादक; पार्वती प्रकाशन के मालिक और संवेदनशील कवि के रूप में भी है।
फोन फिर बज उठा।
माई-बाप मैंने बहुत खोजा
राजा दरबार में बैठा था। मनोरंजन के कार्यक्रम चालू थे। राजा की इच्छाओं, इशारों को काजी समझ गए थे। राजा के विरोधियों को वही निपटा देते थे। इससे राजा को ढाल मिल गई थी। बदनाम होने का खतरा कम हो गया था।
इन दिनों यौन उत्पीड़न की खबरें समाज को उद्वेलित नहीं करती। जैसे भ्रष्टाचार जीवन का अंग है वैसे यौन उत्पीड़न भोगना भी नियति सा बनता जा रहा।
समय बदलता है। बदलाव के साथ चीजें देखने, समझने का नजरिया भी बदलता है। जो नहीं बदलते, वे बतंगड़ खड़ा करते रहते है।
हाथी के साथ रिश्तो को लेकर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म को ऑस्कर मिला। उसका क्रेडिट ले इसके पहले ही उच्च सदन में नेताजी ने चेता दिया था कि देखो ऐसा न हो जाए। तो सोचा इसका लाभ दूसरे तरीके से ले लें। हाथी-शेर से मुलाकात ही कर लें। फिर एक फोटो सामने आया। बड़े महंगे लेंस वाले कैमरे से फोटो क्लिक करते हुए। इस महान क्षण को आतुरता से अपने कैमरे में उतारता हुआ दूसरा कैमरामैन। इस सच्चाई की फिल्मता हुआ वीडियोग्राफर। वीडियोग्राफर और अन्य लोग सही काम कर रहे है इसका प्रूफ इकट्ठा करता एक और फोटोग्राफर। इस कार्य में ड्रोन कैमरा था या नहीं इसका कोई संकेत अभी तक मिला नहीं। हो सकता है ड्रोन कैमरा नहीं हो। क्योंकि कहा तो यह गया था कि जहां भ्रष्टाचार होगा वहां चेक करने के लिए उसे भेजा जाएगा। यहां तो फिजूलखर्ची थी, भ्रष्टाचार थोड़े ही था। यह भी हो सकता है की यह असत्य का एक रूप हो। फकीर इतना खर्चीला तो नहीं हो सकता! हो भी सकता है, किसके लिए छोड़कर जाना है। असत्य के सच्चे रूप इतने है कि सच्चा रूप भी असत्य जान पड़ता है।
इस 13 अप्रैल को उन्हें गुजरे 10 वर्ष हो जाएंगे। उन्हें से मेरा मतलब हरीश वासवानी से है।
राजधानी में स्थित सरकारी ट्रेनिंग संस्था शनिवार-रविवार को नेताजी की पहचान वालों को शादी के लिए उपलब्ध कराई गई थी। आज सोमवार था और पहले से तय पर्यावरण विषय पर ट्रेनिंग शुरू होनी थी। जिसे ट्रेनिंग देनी थी उसे डायरेक्टर ने कहीं और भेज दिया था। शादी के कारण गंदगी, अव्यवस्था और आदमी की अनुपलब्धता के बावजूद भी कोर्स संयोजक तनाव मुक्त थे। उन्होंने सबसे जूनियर को बुलाया और ट्रेनिंग देने का आदेश दिया। जूनियर बेचारा सकपकाया बोला- 'सर, पर्यावरण…..'
कुछ किस्से तो बड़े बतंगडी होते है।
सत्य, अहिंसा और साधन की पवित्रता आदमी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा बना देती हैं कि गोली से मारने के बाद भी लोगों को लगता है कि वह छाती पर मूंग दल रहा है। विचारों में जिंदा है। उसे कितना भी मिटाने की कोशिश करो, खत्म होने के बजाय उजला होकर वह उभर आता है। हर बार, बार-बार। इस बार भी ऐसा ही हुआ। कुजात गांधीवादी डॉ राममनोहर लोहिया की व्याख्यानमाला में फिर से गांधी को नजरों से गिराने की कोशिश हुई। हिंदी से अचानक देसी टोन की अंग्रेजी में बात कर गांधी को अनपढ़ सिद्ध करने की कोशिश की गई। बतंगड़ खड़ा करने और ध्यान भटकाने का प्रयास भी हुआ।
तिल का ताड़ बनाना हो, राई का पहाड़ खड़ा करना हो, बाल की खाल निकालना हो, बातों का बतंगड़ बनाना हो या अर्थ का अनर्थ करना हो- राजनीतिक पार्टी इनमे माहिर होगी तो ही सत्ता का स्वाद चखती है। इन दिनों जो हंगामा होता दिख रहा है वह इन्हीं की महारतो का नजारा है। आंखों में धूल झोंकना भी इसे ही कहते होंगे। हेराल्ड अखबार के शेयर बदलाव मामले में सरकार को घोटाला दिख रहा था। सप्ताह तक घंटों-घंटों पूछताछ होती रही। इधर 'इंडियन एक्सप्रेस' शेल कम्पनियों के बारे में तथ्यों के साथ बात कर रहा है और ईडी शवासन लगाये है। राजा होने के यही तो फायदे है। कभी भी धृतराष्ट्र बना जा सकता है।
भाई लोग बतंगड़ बनाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते। जोड़-तोड़ से बनी, 40% कमीशन वाली सरकार के नाम से ख्यात राज्य की सरकारी पार्टी के विधायक के बेटे को भ्रष्टाचार विरोधी दल ने उनके ऑफिस में 40 लाख रुपए की रिश्वत के साथ झड़पा। बाद में उस बेचारे ने सफाई दी कि उसकी ऑफिस में कोई रुपए रख कर गया तो यह रिश्वत कैसे हुई ! फिर हिम्मत तो देखो, विधायक बाप के घर पर भी छापा डाल दिया। कहते हैं कि वहां से भी करोड़ों रुपए जप्त कर लिए।
बात का बतंगड़ बनने में देर ही कितनी लगती है। दो लोग सड़क किनारे फूलों के गमले उठाकर महंगी गाड़ी की डिक्की में रख रहे थे। भाई लोगों ने वीडियो बना दिया और बतंगड़ खड़ा कर मजे ले लिए।